kiss a tale एक कथा को चूमें, और खुशी से झूमें हम ... क़िस्से ठिलाते, खिलखिलाते - एक प्यारी सी अनुभूति, पॉडकास्ट, दृश्य-श्रव्य, कथन-श्रवण...

Saturday, May 25, 2024

आप तो नाराज़ हो गये (रेडियो नाटक)

आप तो नाराज़ हो गये (रेडियो नाटक)

अनुराग शर्मा

कथा व पटकथा: अनुराग शर्मा


पात्र व कलाकार
मैडम (बैंक लिपिक)
महिला बैंक अधिकारी
टैलर/कैशियर
मैनेजर
बैंक ग्राहक (आठ अलग-अलग व्यक्ति): मज़दूर, व्यवसायी, सरकारी लाल, चाकर, कस्टमर 1, कस्तमर 2, नयी ग्राहक, इंटरनैट कस्टमर
***

[दृश्य 1]

[बैंक की एम्बियेंस]

मज़दूर: बाबूजी... बीबीजी... नमस्ते!
अधिकारी: बाबू? मैं बाबू बीबी नहीं हूँ।
मज़दूर: बैंक में तौ बाबू ई होत हैं। आप इहाँ काम ना करत हौ का?
अधिकारी: काम तो यहीं करती हूँ पर बाबू नहीं हूँ।
मज़दूर: बाबू नाँय है तौ का कलेट्टर हौ ... कि नर्स हौ, कि मास्टरानी?
अधिकारी: नहीं, मैं ऑफ़िसर हूँ... खैर, वो छोड़ो, तुम यह बोलो कि काम क्या है?
मज़दूर: बो जमा कन्नो है बाबूजी
अधिकारी: तो कर दीजिये, उधर कैश काउंटर पर।
मज़दूर: का कर दीजिये?
अधिकारी: (झल्लाकर) जो जमा करना है, और क्या? क्या जमा करना है?
मज़दूर: पइसा, जमा कन्नो है। बैंक है कोई कांजी हौस तो है नायँ के गोरू-भैंस जमा करंगे
अधिकारी: अरे तो करो न भाई, किसने रोका है?
मज़दूर: बोई तौ ढूंढ रहे हैं
अधिकारी: क्या ढूंढ रहे हैं? अगर जमा पर्ची ढूंढ रहे हैं तो वो तो सामने लगी हैं पीली वाली, भर के उधर कैश काउंटर पर जमा कर दीजिये।
मज़दूर: पर्ची ना ढूंढ रहे, हम पइसा ढूंढत हैं।
अधिकारी: घर से लाये थे?
मज़दूर: (झुंझलाकर) घर सैई लाये थे, और का कहीं सै डाको डाल के लांगे? भौत ऊँचे घर के हैंगे हम, अंट-संट काम ना करते। (घबराकर) कहाँ गए पइसे? जाने कहूँ गिर गये, जाने काउ गिरहकट ने निकाल लये!
अधिकारी: तो भाई साहब, बाहर जाकर चैक कर लीजिये शायद कहीं मिल जायें, (मुड़कर) आप? हाँ जी आपका क्या काम है?
[मज़दूर के जाने के, व व्यवसायी के आने के कदमों की आवाज़]
व्यवसायी: वनक्कम मैडम! जमनानगर ब्रांच में फ़ंड्स ट्रांसफ़र करने हैं...
अधिकारी: (रुखाई से) नमस्ते, (निर्विकार होकर) जमनानगर, जे फ़ॉर जमनानगर... जलघर, जामनगर, जमुनियाँ,… ऊँहुं, जमनानगर में हमारी कोई ब्रांच नहीं है।
मज़दूर: (दूर से चिल्लाकर आती आवाज़) बाबूजी, पैसा मिल गओ, बंडी मैं हतो।
अधिकारी: (ज़ोर से) बताया न, मैं बाबू नहीं हूँ। मिल गये तो जाइये कैश में जमा कराइये।
मज़दूर: जावत हैं बाबू, पर्ची तौ दे द्यो। और, जे ऐतो गुस्साय काय रही हो बाबू?
अधिकारी: मैं बाबू नहीं, ऑफ़िसर हूँ। बोला तो था कि पीली पर्ची सामने टंगी हैं। जाओ, वहाँ से लो।
[मज़दूर के बड़बड़ाने की आवाज़, धीरे-धीरे स्पष्ट होती हुई]
मज़दूर: बताऔ, जनाना दफ़्तरी होय कै ऐसी अकड़ दिखाआत हैं, बाबू कहन से भाव खाय रई हैं।
व्यवसायी: कैसी बात कर रही हैं मैडम, जमनानगर में ब्रांच है, पक्का! मुझे पता है। मेरी ही बिल्डिंग में किराये पर है।
अधिकारी: ये लीजिये हमारी ब्रांच की लिस्ट, ढूंढकर मुझे भी दिखा दीजिये। फ़ंड्स ट्रांसफ़र हो जायेंगे।
[काग़ज़ पलटने की आवाज़]
व्यवसायी: लीजिये जे रही जमनानगर ब्रांच...
अधिकारी: ये तो वाई में है...ओह, यू मीन यमुनानगर! आर यू श्योर? यही है?
व्यवसायी: हाँ, जेही है बस, इसे ही जमनानगर कहते हैं सब जमनानगर वाले। आप मदरासी लोगों ने इस्पेलिंग गलत लिखी है
अधिकारी: व्हाट डू यू मीन? मदरासी लोग? कौन हैं ये मदरासी लोग?
व्यवसायी: सॉरी मैडम, आप तो खुद ही मदरासी हैं, जैसे मैं पंजाबी – फिर हम सब आपस में मिलकर, (गाकर) मदरासी लड़की का, पंजाबी लड़के से, प्यार हुआ फिर शादी हो गयी, अब देखें... नहीं, नहीं, आई मीन (गाकर) हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी। आपके तो बैंक का नाम ही ऐसा है न इसलिये मैंने मदरासी कहा
अधिकारी: क्या कहा? क्या नाम है इस बैंक का? मदरासी बैंक नहीं है इसका नाम। फ़ॉर योर काइंड इंफ़ोर्मेशन, इस बैंक का नाम है ‘स्टार ऑफ़ साउथ’ - नाम मत बिगाड़िये प्लीज़्। और आपसे किसने कहा मैं मदरासी हूँ?
व्यवसायी: मैडम आप तामिलियान नहीं हैं क्या?
अधिकारी: (आवेशित) ये तामिलियान क्या होता है? तमिळ मेरी भाषा है, तमिळनाडु मेरा प्रदेश है, चेन्नई मेरा सिटी। इसमें मदरास कहाँ से आया? अपने देश को जानिये, थोड़ा, थोड़ा। ... (निर्विकार) अब जाइये, आपका काम हो जायेगा, दस मिनट लगेंगे।
[व्यवसायी के जाते हुए जूतों की आवाज़]
व्यवसायी: (मुँह बनाकर) देश को जानिये, माय फ़ुट! दिल्ली में रहकर जमनानगर तो पता नहीं है देश को जानेंगे, हुंह! 
***

[दृश्य 2]

[पृष्ठभूमि में शोरशराबा]

सरकारी लाल: कुछ काम-वाम करते नहीं हैं। परेशान करके रखा हुआ है। कभी ये चाहिये, कभी वो चाहिये। मुझे बता, कौन सा था जो मना कर रहा था, केवाइसी चाहिये कहकर?
चाकर: ये वाले बाऊजी थे सर, वापस भेज दिया था मुझे 
सरकारी लाल: हैलो? 
अधिकारी: उनसे नहीं, मुझसे बात कीजिये, क्या बात है? 
सरकारी लाल: क्यों जी, इसका खाता खोलने में क्या प्रॉब्लम है आपको? अपने आप नये-नये कानून बनाते रहते हैं आप लोग?
अधिकारी: नो सर, सारे कानून सरकार बनाती है, हम तो इम्प्लीमेंट करते हैं बस्।
सरकारी लाल: तो खाता क्यों नहीं खोल रहे हो इसका? खाता खोलो, पासबुक चेकबुक दो इसे, अभी।
अधिकारी: इनके डॉक्यूमेंट पूरे नहीं हैं...
सरकारी लाल: क्या पूरे नहीं हैं, मुझे बताओ।
अधिकारी: क्या क्या चाहिये, वह सब इन्हें बता दिया था। पेपरवर्क पूरा कर दें, खाता 5 मिनट में खुल जायेगा। 
सरकारी लाल: खाता तो खुलेगा ही, तुम्हें पता नहीं मैं कौन हूँ, हू एम आई? यू डोंट नो मी?
अधिकारी: सर, आप जो भी हों, खाता खोलने के मिनिमम रिक्वायरमेंट तो पूरे करने ही पड़ेंगे।
सरकारी लाल: मैनेजर से बात कराओ, तुम क्लर्कों से तो बात करना ही बेकार है।
अधिकारी: मैं क्लर्क नहीं हूँ, ऑफ़िसर हूँ।
सरकारी लाल: सब कहने की बात है। इन रियलिटी - बैंक में ऑफ़िसर भी क्लर्क ही होता है, जस्ट अ डिग्निफ़ाइड क्लर्क। कहाँ है तुम्हारा मैनेजर? उससे बात कराओ मेरी। मैं क्लर्कों से बात नहीं करता।
अधिकारी: फ़र्स्ट फ़्लोर पर चले जाइये. सीधे जनरल मैनेजर से बात हो जायेगी।
सरकारी लाल: अकड़ देखो इन क्लर्कों की, हमारे टैक्स के पैसे पर पलते हैं।
अधिकारी: जी नहीं, बीस साल से लगातार प्रॉफ़िट दे रहे हैं। हम आपके टैक्स पर नहीं पलते। हाँ यह पॉसिबलिटी ज़रूर है कि आपकी सेलरी हमारे प्रॉफ़िट से आती हो।
चाकर: छोड़िये न साब, ऊपर मैनेजर साब के पास चलते हैं। आप भी किस क्लर्क के मुँह लग रहे हैं।
कस्टमर 2: मैडम, आप कैशियर को बोल दीजिये। वो पैसे नहीं ले रहा है। पैसे मांगूँ तो भी कोई बात है, मैं तो जमा करने आया हूँ। बैंक में आती लक्ष्मी को लौटा रहे हैं ये लोग। कोई परवाह ही नहीं है किसी बात की।
***

[दृश्य 3]

मैडम: सिग्नल नहीं था मेरे बच्चे, मेरे कद्दू-पिद्दू। सुबह से सिग्नल चैक कर रही थी, अब जाके मिला है। हाँ हाँ खिचड़ी बना के रख दी है फ़्रिज में से निकाल लेना बेटा।   
कस्टमर 1: मैडम मेरा चैक पास कर दो, बहुत देर हो गयी है।
मैडम: और पापा से कहना आज जल्दी आ जाएँ दफ़्तर से, शाम को मॉल में जाना है।  
कस्टमर 1: वाह मैडम वाह, कभी फ़ोन, कभी मॉल। अभी तो आप बैंक में हैं, और ग्राहक यहाँ इंतज़ार कर रहे हैं। उन पर ध्यान देने के बजाय आप यहीं से अपने कद्दू-पिद्दू की रिमोट-परवरिश कर रही हैं।
मैडम: हाँ बेटा, मैं भी जल्दी आ जाऊंगी रोज़ की तरह। चिंता मत करना। एवरीबडी नोज़ कि, साड्डे पंज पौने पंज वजे वज जांदे हैं।
कस्टमर 1: अरे मैडम, वो एक चेक पास करदो बस, फिर जितनी चाहो बात कर लेना।
मैडम: अभी फ़ोन रखती हूँ बेटा, मेरा खड़ूस मैंनेजर इधर ही आ रहा है। लव यू, बाय!
कस्टमर 1: मैडम, बस ये एक चेक पास कर दीजिये।
[कीबोर्ड की आवाज़]
मैडम: नहीं हो पायेगा। ये कम्प्यूटर मेरा पासवर्ड ही नहीं ले रहा है।  
कस्टमर 1: कौन सा पासवर्ड दे रही हैं? लक्ष्मी या ग़णेश नहीं लेगा। कल आपने पासवर्ड बदलकर साईबाबा किया था, वही ट्राई कीजिये।
[कीबोर्ड की आवाज़]
मैडम: हाँ, ये ले लिया। ये पासवर्ड भी खामखाँ बना दिये हैं। बड़े झंझट की चीज़ है। सब काम रुक जाता है। लो हो गया तुम्हारा चेक। पाँच सौ रुपल्ली के लिये आसमान सिर पर उठा लिया। मुझे दो मिनट बच्चों से ठीक से बात भी नहीं करने दी।
***

[दृश्य 4]

नयी ग्राहक: मैडम मुझे इस बैंक में अपना खाता खुलाना है।
अधिकारी: ये फ़ॉर्म लीजिये। दो काले, दो पीले, दो नीले। इन्हें भर दीजिये, एक कॉपी आधार की, एक राशन कार्ड की, एक बिजली के बिल की, एक ड्राइविंग लाइसेंस की और एक आपके अपॉइंटमेंट लेटर की... और फिर हमारे किसी खातेदार से इस फ़ॉर्म में अपना परिचय वेरिफ़ाई कराकर ले आइये। खाता खुल जायेगा।
नयी ग्राहक: लेकिन मेरा तो कोई भी परिचित आपके यहाँ खातेदार नहीं है?
अधिकारी: तो फिर तो आपका खाता यहाँ नहीं खुल पायेगा। शिनाख्त तो बहुत ज़रूरी है
नयी ग्राहक: यह तो बहुत परेशानी की बात है, सोचती हूँ कुछ्। आप इस ब्रांच के आस-पास ही रहती हैं क्या?
अधिकारी: नहीं मैं यहाँ नहीं रहती। मैं तो लाइन-पार से आती हूँ।
नयी ग्राहक: इत्ती दूर से तो बहुत मुश्किल होती होगी
अधिकारी: नहीं, मेरे पति का दफ़्तर भी पास ही है, वे ही ड्राइव करते हैं। एसी कार है, मुझे कोई मुश्किल नहीं होती।
नयी ग्राहक: अच्छा, मैं भी वहीं रहती हूँ। आपके बच्चे अग्रसेन में पढ़ते हैं क्या?
अधिकारी: नहीं, मेरे बच्चे तो अंग्रेज़ी स्कूल वाले हैं। सेंट जूनियर कॉनवेंट में जाते हैं।
नयी ग्राहक: अरे वाह, मेरा बेटा भी कॉनवेंट में ही पढ़ता है। आपके बच्चे किस क्लास में हैं?
अधिकारी: एक सातवीं में, और एक पाँचवीं में।
नयी ग्राहक: कमाल है। कितनी जल्दी परिचय हो गया। अब नये खाते के लिये मेरी शिनाख़्त आप ही कर दीजिये।
अधिकारी: ऐसे नहीं होता। स्टाफ़ किसी खाते में इंट्रोडक्शन नहीं कर सकता।
नयी ग्राहक: अरे मैडम, आप सब कुछ कर सकती हैं, कर दीजिये न।
अधिकारी: (गुस्से में) कहा न, मैं नहीं कर सकती। आप जाइये यहाँ से।
***

[दृश्य 5]

इंटरनैट कस्टमर: आपका एटीएम काम नहीं कर रहा है।
मैडम: एटीएम यहाँ नहीं है, बाहर जाकर देखिये।
इंटरनैट कस्टमर: हाँ, मुझे पता है एटीएम यहाँ नहीं है। मैं कह रहा हूँ कि वह काम नहीं कर रहा है।
मैडम: पैसे नहीं होंगे आपके खाते में।
इंटरनैट कस्टमर: पूरी बात तो सुन लीजिये। उसमें लिखा है, ‘आउट ऑफ़ ऑर्डर, यूज़ अ नीयरबाइ एटीएम’।
मैडम: इसका मतलब है, एटीएम काम नहीं कर रहा है...
इंटरनैट कस्टमर: मतलब मुझे पता है। इतनी अंग्रेज़ी मैं भी जानता हूँ। आप यह बताइये काम क्यों नहीं कर रहा? ठीक कराइये इसे।
मैडम: हम बार-बार ठीक कराते हैं। और बंदर बार-बार इसका केबल काट जाते है, इसलिये नहीं करता है। मैनेजर साब को बोलिये वोही ठीक कराएंगे।
इंटरनैट कस्टमर: अरे तीन दिन से चक्कर काट रहा हूँ एक एटीएम कार्ड एक्टिवेट कराने के लिये। 
मैडम: आप तो ऐसे चिल्ला रहे हैं जैसे मैंने एटीएम खराब कर दिया हो, जाइये मैनेजर साहब से बात कीजिये। एटीम उन्हीं का डिपार्टमेंट है। 
इंटरनैट कस्टमर: मेन ब्रांच से लिया था। वहाँ बिना एक्टिवेट किये दे दिया। कहने लगे सेम डे नहीं होता, अगले दिन किसी भी एटीएम से करा लेना। कल सेक्टर 3 के एटीएम में गया तो पता लगा आधे एटीएम आप लोगों ने परमानेंटली डीएक्टिवेट कर दिये हैं खर्चा बचाने के लिये। अब आज इतनी दूर यहाँ आया तो ये भी खराब है।
[मैनेजर की पदचाप]
मैनेजर: आप मेरे साथ आइये, मैं देखता हूँ आपकी परेशानी। छोटू, साहब के लिये एक कॉफ़ी लाना, मेरे केबिन में।
[दोनों के जाने की पदचाप]
***

[दृश्य 6]

कस्टमर 2: बाबूजी, बाबूजी!
अधिकारी: (झल्लाकर) मैं बाबू नहीं हूँ, ऑफ़िसर हूँ।
कस्टमर 2: बाबूजी जे फ़ीस का वाउचर जमा कराना है। 
अधिकारी: ये हम नहीं लेते, नॉर्थ स्टार बैंक में जाइये।
कस्टमर 2: वो तो बहुत दूर है मैडम जी।
अधिकारी: हाँ, दूर तो है लेकिन यूनिवर्सिटी का अरेंजमेंट उनके साथ ही है, यह वहीं जमा होता है।
कस्टमर 2: लेकिन मैंने तो यहीं जमा कराया था पिछली बार।
अधिकारी: नहीं यह नहीं हो सकता। हम कभी भी फ़ीस जमा नहीं करते थे। तुम्हें ग़लत याद है।
कस्टमर 2: लेकिन ये देखिये, मेरे पिछले वाउचर की रसीद।
अधिकारी: दिखाओ... अरे ये तुम्हारे मकान की लीज़ का वाउचर है। अब जो लाए हो वह फ़ीस का है। लीज़ यहाँ जमा होती है और फ़ीस नॉर्थ स्टार में जमा होती है। हमने बाहर बोर्ड पर भी लिखकर लगा दिया है। तो भी सुबह से जाने कितने लोगों को इतनी बार बता चुकी हूँ। 
कैशियर: मैं लंच पे जा रहा हूँ। वापसी में देर हो जायेगी।
अधिकारी: इतनी जल्दी, वापस अपनी सीट पर जाओ, अभी लंचटाइम हुआ नहीं है।
कैशियर: अच्छा जी, मेरी घड़ी में तो हो गया, ये देखिये...
अधिकारी: अपनी घड़ी ठीक कराओ।
कस्टमर 2: खाने जाने की कितनी जल्दी है। मेरा वाउचर लेने में तो ऐसे आनाकानी कर रहे थे जैसे रोज़ा गले पड़ गया हो।
कैशियर: तू अभी भी यहीं बैठा है। बताया तो था कि ये वाला वाउचर यहाँ जमा नहीं होता। नॉर्थ स्टार बैंक में जा।
कस्टमर 2: पहले यहाँ इतना टाइम खोटी किया अब फिर से इतनी दूर और जाना पड़ेगा। इस देश में कोई काम ठीक से नहीं हो सकता।
अधिकारी: हाँ भई, परेशानी तो है लेकिन देश तो हम ही बनाते हैं। बदलना भी हमें ही पड़ेगा। अगर चलने से पहले फ़ीस का फ़ॉर्म पढ़ लेते तो सही बैंक में पहुँचते। अब जल्दी जाओ और बैंक बंद होने से पहले वहाँ जमा करा दो।
कस्टमर 2: बहुत उपदेश मत दीजिये, हाँ नहीं तो! यहाँ क्यों नहीं जमा करते हैं आप? मैं वैबसाइट पर कम्प्लेंट करूंगा।
अधिकारी: (झल्लाकर) यहाँ हो पाता तो हम कर ही लेते। यहाँ नहीं हो सकता, नहीं हो सकता, नहीं हो सकता। जहाँ मन करे कम्प्लेंट कर दो। लेकिन अब यहाँ से जाओ प्रभु!
कस्टमर 2: अरे मैडम, आप तो बिला वजह नाराज़ हो गयीं। (रुककर, अत्यंत प्रेम से) आप लोग पब्लिक डीलिंग वाले लोग हैं, ज़रा प्यार से बात करना भी सीखिये। काम नहीं करना है तो न करें लेकिन बात तो आराम से कीजिये न। गुस्सा काहे कर रही हैं?
अधिकारी: (दाँत भींचकर) हे भगवान, इनका मैं क्या करूँ?

[समवेत हँसी]

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