kiss a tale एक कथा को चूमें, और खुशी से झूमें हम ... क़िस्से ठिलाते, खिलखिलाते - एक प्यारी सी अनुभूति, पॉडकास्ट, दृश्य-श्रव्य, कथन-श्रवण...

Monday, May 13, 2024

स्कैमडिकैपर्स* (रेडियो नाटक)

स्कैमडिकैपर्स* (रेडियो नाटक)

पूजा अनिल
(* Scamdicappers)

पूजा अनिल


उद्घोषक
माँ
चिराग
चिराग की बुआ
लड़का 1
लड़का 2
बैंक अधिकारी

दृश्य 1
माँ: चिराग! बेटा चिराग! ज़रा इधर आओ तो! 
चिराग: आया माँ! 
(कुछ समय तक चिराग नहीं आया।) 
माँ: चिराग! जल्दी यहाँ आओ। (झल्ला कर ) सुनाई नहीं दे रहा क्या?
चिराग: आयाऽऽऽऽऽऽऽऽ माँ!
(कुछ देर बीत गई, चिराग नहीं आया।)
माँ: (स्वयं से ही बात करती है) हद हो गई, चिराग अब तक नहीं आया!! पता नहीं कब सुनेगा यह लड़का! स्कूल बंद हो गए, गर्मी की छुट्टियाँ हो गई हैं तो दिन भर जाने क्या करता रहता है! किसी काम के लिए बुलाओ, तब भी गायब रहता है! उफ! क्या करूँ इसका? मैं ही जाकर देखती हूँ! 

(माँ के चलने की ध्वनि, चिराग के मोबाइल गेम की ध्वनि)

माँ: अच्छा बेटा! तुम यहाँ बैठ कर मोबाइल पर गेम खेल रहे हो, और मैं वहाँ तुम्हें कब से पुकार रही हूँ, क्यों बेटा? आने की भी फुर्सत नहीं तुम्हें, यह तो बहुत गलत बात है कि कोई आवाज़ दे कर तुम्हें बुलाये और तुम न जाओ! 
चिराग: सॉरी माँ! वो मोबाइल पर गेम खेल रहा हूँ तो बीच में ही छोड़ नहीं सकता! 
माँ: देखो बेटा, मोबाइल पर गेम खेलना बुरी बात नहीं, लेकिन पूरा दिन खेलना भी ठीक नहीं। आजकल तुम्हारी गर्मी की छुट्टियाँ चल रही हैं, स्कूल भी नहीं जाना है, तो इन छुट्टियों का सदुपयोग करो और कुछ नया सीखो, ... इस से मानसिक विकास भी होगा और कुछ नया हुनर भी प्राप्त होगा तुम्हें। मोबाइल की स्क्रीन और इस छोटे से बंद डब्बे में कैद रहने से छुटकारा भी ज़रूरी है बेटा, कभी-कभी अपने दोस्तों से भी मिला करो, घर से बाहर निकला करो। 
चिराग: (कुछ सोचते हुये) अच्छा माँ, आप कहती हैं तो मैं अवश्य कुछ सीखूँगा । पास में ही मेरे कुछ दोस्त रहते हैं, क्या अभी मैं दोस्तों के साथ बाहर खेलने जाऊँ? 
माँ: हाँ, हाँ, जाओ, लेकिन पहले मुझे ऊपर से वो बड़ा डब्बा उतार कर देकर जाओ, तब तक मैं अपना काम निबटा दूँगी, फिर जब तुम लौट कर आओगे तो साथ में खाना खाएँगे। 
चिराग: ठीक है माँ, बताओ, कौनसा डब्बा उतरना है, अभी उतार देता हूँ। 
माँ: हाँ, यह वाला, उतार दो। 
चिराग: यह लो माँ, अब मैं जाऊँ? 
माँ: धन्यवाद बेटा, अब तुम जा सकते हो, एक घंटे में आ जाना। 
चिराग: ठीक है माँ। 
(चिराग बाहर जाता है)
***

दृश्य 2
(कुछ देर में चिराग वापस लौट आता है।)

चिराग: माँ, मैं आ गया। 
माँ: अरे वाह! तुम तो समय से लौट आए। इसी बीच तुम्हारी बुआजी भी आ गई हैं, चलो, आ जाओ, खाना खा लेते हैं। 
(खाना परोसने व खाने की आवाज़ें)
बुआ: चिराग, तुम्हारा दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम आ गया क्या? 
चिराग: नहीं बुआ जी, अब तक नहीं आया। महीने के आखिर में आएगा। 
बुआ: अच्छा! पास तो हो जाओगे न?
चिराग (उत्साहित होकर)– बिलकुल हो जाऊंगा, बल्कि अच्छे नंबर से पास हो जाऊँगा, पता है, बहुत अच्छे गए थे मेरे पेपर!
बुआ: वाह बेटा! बड़े होनहार हो! बिलकुल अपनी बुआ पर गए हो! 
माँ: (खुश होकर) इस परिवार में सभी बड़े होनहार हैं! 
सब ठहाका लगते हैं, खुश होते हैं।
***

दृश्य 3 (शाम के समय घर में)
चिराग: माँ, शाम हो गयी है। मैं दोस्तों के साथ खेलने जाऊँ? 
माँ: हाँ, हाँ, ज़रूर जाओ बेटा! घर बैठ कर पूरा दिन मोबाइल पर गेम खेलने से तो अच्छा है कि बाहर जाकर दोस्तों के साथ कुछ खेलो। 
चिराग: ठीक है माँ, मैं थोड़ी देर में आता हूँ। 
चिराग (मन ही मन में कहता है) – माँ को क्या पता कि बाहर भी मैं दोस्तों के साथ मोबाइल पर गेम खेलता हूँ! बताऊंगा तो फिर से भाषण सुनने को मिलेगा, इसलिए मैं नहीं बताऊंगा! 
(खुश होकर गुनगुनाते हुए चला जाता है।)
***

दृश्य 4 (देर शाम को घर में) 
चिराग - माँ, मैं आ गया! 
माँ: अच्छा बच्चा मेरा! समय का कितना ध्यान रखने लगे हो तुम अब! बहुत बढ़िया बेटा! जाओ, अब नहा लो, तब तक मैं तुम्हारे लिए कुछ नाश्ता बना देती हूँ। 
चिराग: (प्रसन्न होते हुये ) ठीक है माँ। 
चिराग वहाँ से जाता है और कुछ ही पलों बाद दो लड़के चिराग को पुकारते हुये घर के भीतर प्रवेश करते हैं। 
लड़का 1 – चिराग! चिराग!
लड़का 2: चिराग? अबे कहाँ है बे?
माँ: रुको! कौन हो तुम लोग? शोर क्यों मचा रहे हो? 
लड़का 1 – हमें केवल चिराग से बात करनी है। चिराग! बाहर आ! अभी के अभी बाहर आ! लड़का 2 (गुस्से में चिल्लाते हुये): हम तेरा घर फोड़ डालेंगे! तुरंत आ यहाँ! 

(चिराग वहाँ आता है)
चिराग: क्या हो गया तुम दोनों को? क्यों चिल्ला रहे हो? क्या चाहिए तुम्हें? 
लड़का 1 – क्या हो गया, पूछता है? जल्दी से हमारे पैसे वापस कर।
लड़का 2 – हाँ हाँ! अभी के अभी वापस कर हमारे पैसे, वरना अच्छा नहीं होगा! 
चिराग: कौन से पैसे? मेरे पास तुम्हारे कोई पैसे नहीं हैं। 
लड़का 1 – मोबाइल गेम में हमने पैसे लगाए थे न, वही पैसे। 
चिराग: गेम में लगाए थे तो वे गेम में ही खर्च हो गए, अब कहाँ से आएंगे पैसे? 
लड़का 2: ज़्यादा होशियार मत बन चिराग! हमने जो पैसे लगाए थे, वो वापस लौटा दे तो हम अभी चले जाएंगे, वरना अपना मोबाइल दे हमें, समझा क्या? 
चिराग: देखो, मोबाइल गेम में लगाए हुये पैसे केवल जीतने पर ही वापस मिलते हैं, हारने पर कुछ नहीं मिलता, और तुम गेम हार गए थे, इसलिए मेरे पास कोई पैसे नहीं हैं।
(इस बीच माँ ने बुआ जी को बुलाती है। बुआ जी के वहाँ आकर उन लड़कों से बात करने की आवाज़) 
बुआ: देखो बच्चों! हमने आपकी बात सुन ली है और आपको बता देते हैं कि पहली बात तो मोबाइल गेम में पैसे लगाकर खेलना बिलकुल ठीक नहीं, दूसरे, जब आपने पैसे लगाए और गेम हार गए तो उसके बाद आपको पैसे नहीं मिल सकते, इसलिए शोर करने और चिराग को परेशान करने से कोई फ़ायदा नहीं।
लड़का 1: वो सब हमें नहीं पता, हमें अपने पैसे चाहिये
लड़का 2: ( चिल्ला कर) हम अपने पैसे लिए बिना नहीं जाएँगे!
बुआ: यदि आप शांति से नहीं जाएंगे तो हम पुलिस बुला लेंगे, फिर आप थाने में बैठकर शोर कर लीजिएगा। हम आपसे प्यार से कह रहे हैं, चलिये, जाइए, इसी समय निकलिए यहाँ से। हम किसी को कुछ नहीं बताएँगे, ठीक है?
लड़का 1: चिराग! तुझसे तो हम बाहर निपट लेंगे! 
लड़का 2: देखते हैं, कब तक बचेगा हमसे
(दोनों लड़के गुस्से बड़बड़ाते हुए बाहर जाते हैं) 
***

दृश्य 5 
(चिराग कुछ डरा सहमा सा कोने में खड़ा था। उसे पता था कि अब माँ की डांट पड़ेगी । लेकिन ऐसा नहीं हुआ)
माँ: वहाँ कोने में क्यों खड़े हो? हमें सारी बात बताओ।
बुआ: चिराग, डरो मत बेटा, यहाँ आकर बैठो, मेरे पास।
(चिराग बुआ जी के पास जाकर बैठ गया, सिर झुका कर इधर उधर देखता रहा।)
बुआ: अब पूरी बात समझाओ मुझे, कौन थे ये दोनों लड़के और क्यों इतना हल्ला गुल्ला मचाया यहाँ आकर? सब कुछ सही-सही बताओ। 
चिराग: (धीमी आवाज़ में) बुआ! ये हमारे मोहल्ले के ही लड़के हैं, स्कूल में साथ पढ़ते हैं हम। मैं घर से बाहर जाकर मोबाइल गेम खेलता हूँ इन लड़कों के साथ। हम सब लोग थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाकर ऑनलाइन गेम खेलते हैं, जिसमें गेम जीतने वाले को सारा पैसा मिल जाता है और हारने वाले को कुछ नहीं मिलता। आज ये दोनों गेम हार गए तो जबरन मुझसे पैसे मांगने आ गए।
माँ: लेकिन तुम मुझसे तो कह कर जाते थे कि दोस्तों के साथ खेलने जा रहे हो, क्या वो झूठ था?
चिराग: ( सिर झुका कर, रोते हुए) हाँ, मुझसे गलती हो गई, माफ कर दो माँ, मैंने आपसे झूठ कहा!
बुआ: देखो चिराग! बेटा इन लड़कों से तो हम आपको बचा लेंगे, अब वे आपको परेशान नहीं करेंगे, उनसे डरने की ज़रूरत नहीं है आपको, लेकिन आपकी इस बुरी आदत को सुधारना केवल आपके ही हाथ में है। आपको पता है कि इस तरह मोबाइल पर गेम खेलने को जुआ कहते हैं? अरे, गेम्बलिंग! पता है न जुआ खेलना बहुत गलत बात है। बहुत सारे किशोर होते लड़के लड़कियाँ इसकी वजह से अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं। यदि आप अपना पैसा जुआ खेलने में लगाते हैं तो हो सकता है कि कभी जीत जाएँ और कभी हार जाएँ, लेकिन अंततः इस से हमारे घर परिवार और मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ेगा, हमारे दुश्मन बनेंगे, जो हमें परेशान करते रहेंगे और अंततः हम दुखी जीवन जिएंगे। क्या आप ऐसा जीवन जीना चाहते हो जो दुख और परेशानी से भरा हो?
चिराग: (धीरे से सिर हिलाकर) नहीं!


(मोबाइल पर मेसेज आने की आवाज़)
माँ: (स्वगत) मेरे मोबाइल पर यह किसका मैसेज है? (पढ़ती है) आपके बैंक अकाउंट 78787878 में से 12,170 रुपए निकाले गए हैं। (हैरानी से) अरे! मेरे बैंक अकाउंट में से यह पैसे किसने निकाले, मैंने तो कुछ नहीं खरीदा है? 
बुआ: दिखाइए ज़रा, मैं देखती हूँ। (पूरा मैसेज पढ़ती हैं) “आपके अकाउंट 78787878 में से 12,170 रुपए निकाले गए हैं। अधिक जानकारी के लिए बैंक से संपर्क करें।“
चलिए भाभी, तत्काल बैंक चलते हैं, अभी पता करते हैं चल कर। 
चिराग: मैं भी चलूँगा आप लोगों के साथ। 
माँ: हाँ बेटा, तुम भी चलो। देखते हैं किसने पैसे निकाले हैं? अब चलो जल्दी। 
(सब जाते हैं।)
***

दृश्य 6 
(बैंक के माहौल की आवाज़ें।
माँ: (बैंक अधिकारी से बात करते हुये) नमस्ते मैम, हमें बैंक से यह संदेश मिला है, क्या आप चैक करके हमें इस ट्रांसैक्शन के बारे में बता सकते हैं?
बैंक अधिकारी:  जी नमस्ते, हमें वह संदेश दिखाइए, देख कर अभी आपको बताते हैं। 
माँ: (उसे मोबाइल दिखाकर) यह देखिये, कुछ देर पहले ही आया है।
(अधिकारी के कम्प्यूटर कीबोर्ड की आवाज़ें)
अधिकारी:  मैडम, यह तो एक मोबाइल गेम की वैबसाइट है, जिसके पास आपके बैंक डिटेल्स हैं, और चार्ज करने का ऑथोराइज़ेशन भी। इन्होंने ही आपके बैंक अकाउंट से पैसे निकाले हैं। गेम खेलने की फ़ीस के लिये लग रहे हैं।
चिराग: (यह सब सुनकर, बीच में) ...लेकिन पैसे तो पहले ही भरे जा चुके थे, फिर क्यूँ पैसे निकाले हैं? 
माँ: (गुस्से में) तुमने इन्हें मेरा बैंक अकाउंट दिया? ज़रा भी अकल है या नहीं? मोबाइल गेम की वैबसाइट को कौन अपना बैंक डिटेल देता है बेटा? 
चिराग - सॉरी माँ! 
माँ: मैडम, आप यह ट्रांज़ैक्शन रद्द कर दीजिये, क्योंकि मैंने उन्हें ऑथोराइज़ नहीं किया, मैंने कोई गेम नहीं खेला है। संभव हो तो इस वैबसाइट को हमारे अकाउंट से पैसे निकालने से हमेशा के लिए रोक दीजिये।
अधिकारी:  अच्छा, मैं पहले आपका यह ट्रांज़ैक्शन रद्द करने की कोशिश करती हूँ। अच्छी बात यह है कि आप लोग संदेश मिलते ही तुरंत बैंक आ गए हैं, अब यदि आपकी किस्मत अच्छी हुई तो पैसा भी वापस मिल सकता है।
माँ: जी, आप प्रयास कीजिये। 
अधिकारी:  लीजिये, आज आपकी किस्मत वाकई अच्छी है, मिल गए आपके पैसे वापस। यह लीजिये आपके अकाउंट में आ गए, और यह ट्रैंज़ैक्शन रद्द हो गया। 
(माँ के मोबाइल पर संदेश आने की आवाज़) 
माँ: (संदेश पढ़ते हुए) रुपए 12,170 आपके अकाउंट में क्रेडिट किए गए। (खुश होकर अधिकारी से) अरे वाह! आपका बहुत बहुत धन्यवाद मैडम। अब कृपया इस वैबसाइट को पुनः हमारा अकाउंट प्रयोग करने से भी रोक दीजिये । 
अधिकारी:  यह लीजिये मैडम, यह भी कर दिया, अब वे आपके अकाउंट से पैसे नहीं निकाल पाएंगे।
माँ: बहुत बहुत बहुत धन्यवाद मैडम, आपकी मदद के बिना यह संभव नहीं हो पाता! 
अधिकारी:  जी, हमारा काम ही यही है मैडम, पैसे के लेन-देन में लोगों से गलतियाँ हो जाती हैं, हम अपनी तरफ से उनकी हर संभव मदद करते हैं। अब आप ज़रा इधर आओ बेटा, आपसे कुछ बात करनी है।
चिराग: जी मैडम, कहिए ।
अधिकारी:  बेटा! आपकी माँ बड़ी समझदार हैं, जो तुरंत समझ गईं कि उन्हें इस मामले में क्या कदम उठाना चाहिए और कैसे यह काम करना चाहिए, अन्यथा बहुत से लोग अपना बैंक अकाउंट इन जैसी जुए  वाली वैबसाइट्स को देकर जाने-अनजाने अपनी मेहनत की कमाई इनके हवाले कर देते हैं और बाद में केवल पछताते रहते हैं। आपने, थोड़ी देर के मोबाइल गेम के आनंद के लिए, अपनी माँ के बैंक अकाउंट का विवरण इन्हें दे दिया, लेकिन आपने यह नहीं सोचा कि वे इसी तरह के किशोर बच्चों को फँसाते हैं, जो अक्सर घर पर सच बताते नहीं हैं और इस तरह इन धोखेबाज लोगों का किसी को पता चल नहीं पाता। तो, अब से आप एक बात का ध्यान रखिएगा कि किसी भी अनजान वैबसाइट को कभी भी बैंक डिटेल्स नहीं देंगे और यदि कहीं अकाउंट नंबर दिया है तो घर में अवश्य सूचित करेंगे, ठीक है?
चिराग: जी मैडम, मैं समझ गया आपकी बात, अब से ऐसी गलती कभी नहीं होगी। 
माँ: आपने हमारी स्थिति को समझा और हमारी कठिनाई को हल किया, इसकी लिए आपको बहुत धन्यवाद। 
बुआ: मैडम, पुनः आपको बहुत बहुत धन्यवाद। आपने हमारी बड़ी सहायता की और हमारे बच्चे को स्पष्ट तौर पर समझाया भी, हम आपके कृतज्ञ हैं। 
***

दृश्य 7 
(घर पहुँचकर) 
चिराग: माँ, आज इस पूरे मामले के बाद मैं यह तो समझ गया हूँ कि मोबाइल गेम खेलना भी कभी-कभी कितना खतरनाक हो सकता है। सॉरी माँ! मेरी नासमझी से आपको कष्ट हुआ। 
माँ: कोई बात नहीं बेटा, तुम समझ गए हो, इस से बड़ी कोई बात नहीं, अब ध्यान रखना कि ऐसा न हो कभी।
चिराग: बिलकुल माँ, अब से मैं आपकी हर बात मानूंगा।
माँ: अच्छा, यह तो और भी बढ़िया! मैंने देखा है कि आमतौर पर तुम्हारी उम्र के बच्चे पैसे के लेन-देन, बैंकिंग आदि के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते हैं। स्कूल में भी इस विषय में अधिक कुछ बताया नहीं जाता इस वजह से अधिकांश लोग वित्त-प्रबंधन से अपरिचित रह जाते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि इसके बारे में अधिक चर्चा होनी चाहिए, जिस से देश में समृद्धि आए। 
चिराग: जी माँ...
बुआ: तुम एक काम कर सकते हो, … आजकल विभिन्न पोर्टल पर बहुत से ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध हैं, क्यों न इन गर्मी की छुट्टियों में तुम वित्त-प्रबंधन से संबन्धित एक बेसिक कोर्स कर लो, इस से तुम्हें ज्ञान भी अर्जित होगा और छुट्टियों का सदुपयोग भी हो जाएगा, क्या कहते हो तुम?
चिराग: यह तो जबर्दस्त आइडिया है माँ, मुझे भी तो वित्त-प्रबंधन के बारे में जानने की इच्छा है। मैं आज ही एक अच्छा सा ऑनलाइन कोर्स खोजता हूँ और वित्त-प्रबंधन को समझने का प्रयास करूंगा, इतना ही नहीं माँ, मैं अपने दोस्तों को भी प्रेरित करूंगा।
बुआ: हाँ, बेटा! बच्चे वित्त-प्रबंधन को अवश्य समझें, जो कि किसी भी देश की मजबूती की नींव होती है। 
माँ: मेरा समझदार बेटा! तुम पर गर्व है मुझे। तुम्हें कोई भी मदद चाहिए तो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ बेटा। 
चिराग: हाँ माँ, आपने हमेशा मुझे सही रास्ता दिखाया है, धन्यवाद माँ! 
माँ: मेआ बेटा। आ गले लग जा! 
(पर्दा गिरता है।)

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